लोकसभा चुनाव 2024 : lok sabha election 2024
लोकसभा चुनाव 2024 की शुरुआत 19 अप्रैल 2024 से हुआ था| lok sabha election का यह चुनाव कुल 7 चरणों में पूरा होना है| अभी 3 चरणों तक चुनाव हो चूका है| यह ऐसा चुनाव है जिसमे आप अपने सांसद प्रतिनिधि का चुनाव करते है| यह प्रत्येक 5 वर्षो के बाद होता है| और यह पुरे देश में होता है| इस दिन सरकारी छुट्टियाँ भी रहती है|
लोकसभा चुनाव के बारे में आप लोगो को बहुत कुछ पता है इसका इतिहास से लेकर वर्तमान तक लेकिन हम यहाँ आपको नेताओ की राजनीती बताएँगे की कैसे वह चुनाव के समय जनता को गुमराह करती है, कैसे धोखे वादे करती है, कैसे देश की प्रमुख समस्या के बारे में बात नही करती, कैसे युवाओ, गरीबो, महिलाओ, और किसानो को लेकर सरकार कोई ठोस नीतिया नहीं बनाती और न ही उसका प्रचार चुनाव में करती है, कैसे सिर्फ लालच में रखकर आपसे वोट मांगती है आदि| इन्ही सब के बारे में यह आर्टिकल आपके लिए बनाया गया है|
चुनावी माहौल : election environment
election को भारत देश में एक पर्व की तरह मनाया जाता है| चुनाव आते ही सभी आम जनता से लेकर अधिकारी और नेताओ से लेकर सरकार तक सब सक्रीय हो जाते है| देश का सबसे बड़ा चुनाव लोकसभा चुनाव ही है| इसमें प्रचार से लेकर रोड शो और मंदिर से लेकर गाँवों तक सारी चीजे चर्चा में रहती है| चुनावी माहौल बहुत सरगमी का माहौल होता है|
चुनाव के समय सभी पार्टियों के नेता अपने कार्यकर्ताओ के साथ गाँव, शहर और आम जनता के बिच वोट मांगने के लिए जाते है| जब नेता गाँव जाते है तो उसका महाल ही अलग रहता है| गाँव जाकर बहुत सारी बाते करते है, बहुत से वादे करते है| परन्तु जब पूरा करने का समय आता है तो गाँवों की तरफ नजर भी नहीं डालते | चुनाव के समय पूरा देश राजनीती में शामिल हो जाता है| सब नेताओ के बारे में चर्चा करते है, बुराई करते है, विरोध करते है, और सपोर्ट भी करते है|
चुनाव माहौल बनाने के लिए नेता या सरकार मंदिरे जाते है, आम जनता को लालच देती है, पक्ष-विपक्ष का खेल खेलती है, हमेशा अपने विपक्षी पार्टी की बुराई करती रहती है| सबसे बड़ी बात झूठे वादे करती है| आम जनता को लोलीपोप देते है| जब वादे पूरा करने का समय आता है तो यही सरकार पीछे हट जाती है या तो सालो बाद पूरा करती है|
नेताओ की राजनीती : politics of politician
politics of politician बहुत खतरनाक होती है| राजनीती के चक्कर में आम जनता फसती है| चुनाव के समय उनको गाँवों, शहरों, आम जनता, मंदिरों, गरीबो, महिलाओ, युवा, और किसान तथा मजदुर की याद आती है| और जब चुनाव ख़तम हो जाता है तो सब नेता शांत हो जाते है और अपना स्वार्थ पूर्ति करते है|
नेता हर गाँव, शहर में अपने कार्यकर्ता रखते है| और उनके द्वारा अपना प्रचार-प्रसार करते है| और उन्हें खूब पैसे दिए जाते है| नेताओ की राजनीती बहुत शातिर होती है| चुनाव के समय नेता किसानो के साथ बैठते है, गरीबो के घर खाना खाते है, महिलाओ की समस्या सुनते है, युवाओ का हाल-चाल पूछते है और गाँव में बस बुजुर्गो से जानकारी लेते है|
जो अपने क्षेत्र में प्रमुख मुद्दे तथा समस्या होती है उनके बारे में चर्चा नहीं करते | और बस समस्या सुनकर पूरा करने का वादा देकर चले जाते है| और जब चुनाव के बाद कोई अपनी समस्या लेकर मिलने पहुँचते है तो उनको समय नहीं देते और न ही उनसे मिलते है| मिलते भी है तो बस उनके सामने कागजी काम पूरा कर देते है बाकि उसका समाधान कब होगा इसका कोई अता-पता नहीं होता|
ऐसे होती है नेताओ की राजनीती चुनाव के समय| इसलिए सोच समझकर अपना चुनाव किया कीजिये| लोभ, स्वार्थ से ऊपर उठकर सेवा और मदद को प्राथमिकता देना चाहिए|
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