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Togglefreedom fighter in chhattisgarh | छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
freedom fighter in chhattisgarh : जैसा को अप सब को पता है की भारत की आजादी 15 अगस्त 2024 को पुरे 78 साल हो जायेंगे | भारत के कई वीर सपूतो ने इस देशकी आजादी केलिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है | भार को ऐसे ही आज्दिनी मिली है | देश इस आजादी के लिए देशके लोगो ने अपने रातो की नींदे त्यागी थी | उन्होंने अपने परिवार अपने प्राणों तक की चिंता नही की |
भारत की आजदी में छत्तीसगढ़ के भी कई वीर जवानो ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है हम भगत सिंह जी , चंद्रशेखर आजाद ऐसे वीरोके बारे में तो जनाते है किन्तु क्या आप छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानते है | अगर नही जानते तो आइये जानते है छत्तीसगढ़ के वीर जवानों के बारे में जिन्हने इस देश की आज़ादी अपने प्राण गवाए है |
1.वीर नारायण सिंह
छत्तीसगढ़ के एक महान क्रन्तिकारी वीर , वीर नारायण सिंह जी ने भारत की स्वतंत्रता में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया | उन्होंने अंग्रेजो के नाक में सैम कर दिया | छत्तीसगढ़ के इस इस वीर सपूत वीर नारायण सिंह जी का जन्म वीर नारायण सिंह जी ने सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम अहम् भूमिका निभाई थी | वीर नारायण सिंह जी को छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है | शहीद वीर नारायण सिंह जी का जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के सोनाखान के एक जमींदार परिवार में हुआ था |
वीर नारायण सिंह जी को छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद के रूप में माना जाता है | वीर नारायण सिंह जी के पिता जी का नाम श्री रामसाय बिंझवार जी था | वीर नारायण सिंह जी ने आजदी के लिए अंग्रेजो से लोहा लिया और उन्हें इक लड़ाई में धोके से पकड़ लय गया और उन्हें 10 दिसंबर 1857 में रायपुर के चौराहे में उन्हें फ़ासी दे दी गयी |
2.पंडित सुन्दर लाल शर्मा
पंडित सुन्दर लाल शर्मा जी भी छत्तीसगढ़ राज्य के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे | इन्होने ने भी भारत की आजादी में अपना बहुत ही बड़ा योगदान दिया | उन्हें छत्तीसगढ़ के गांधी के नाम से भी जाना जाता है | पंडित सुन्दर लाल शर्मा जी छत्तीसगढ़ के स्वंतन्त्रता आन्दोलन के क प्रखर नेता थे | पंडित सुन्दर लाल शर्मा जी का जन्म 21 दिसंबर सन 1881 में छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के चमशुर में हुआ था |
पंडित सुन्दर लाल शर्मा जी ने छतीसगढ़ के किसानो के लिए ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कंडेल नहर सत्याग्रह की शुरुआत की थी | उन्होंने इस आन्दोलन में किसानो द्वारा ब्रिटिश सरकार के सिचाई कर वसूले जाने के खिलाफ किया गया था | बदले में अंग्रेजो ने कई ग्रामीणों को कब्जे में कर लिया था | और उनपर अत्याचार करके उनका दमन कर रहे थे | फिर भी उन्होंने अपने इस आन्दोलन को बंद नही किया | उन्हें कई बार जेल ही जाना पड़ा था | इसके बावजूद वे अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते रहे | और 28 सितम्बर 1940 को उनका निधान्हो गया |
3.बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव
बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव जी छत्तीसगढ़ राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है | बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ के दृढ़ता और संकल्प के प्रतिक थे | बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव जी छत्तीसगढ़ में अंग्रेजो के खिलाफ हुए कंडेल नाहर सत्याग्रह प्रमुख सूत्रधार थे | बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव जी का जन्म 28 फरवरी 1889 में हुआ था | उनका जन्म कंडेल एक सम्पन्न परिवार में हुआ था | वे पनदिर नारायणराव मेघावाले के संपर्क में आकर राष्ट्रवादी अन्द्लानो में भाग लेना शुरू कर दिया था |
बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव जी ने अंग्रेजी सरकार के अत्याचार के खिलाफ उन्होंने किसानो को संगठित किया | साल 1921 में उन्होंने स्वदेशी प्रचार के लिए खाड़ी उत्पादंन केंद्र की स्थापना भी की | 1922 में हुए जंगल सत्याग्रह को उन्होंने खूब समर्थन दिया | इस तरह से भारत की आजादी में दिए गए उनके योगदान को भुलाया नही जा सकता है | छत्तीसगढ़ राज्य महान स्वतंत्रता संग्राम तीर्थ कंडेल में 18 जुलाई 1976 में उनका देहवास हो गया |
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