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Contribution of Bhagat Singh : देश की आजादी में भगत सिंह का योगदान क्या था

Contribution of Bhagat Singh ||  देश की स्वतंत्रता में  भगत सिंह का योगदान

Contribution of Bhagat Singh : सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 में हुआ था इनका जन्म स्थान लायल पुर है जो की वर्तमान समय में अभी पाकिस्तान में स्थित है | उनके माता का नाम विद्यावती और उनके पिता का नाम सरदार किसान सिंह सिंधु था 

Education of Bhagat Singh : भगत सिंह की शिक्षा

इनकी प्रारंभिक शिक्षा नेशनल कॉलेज लाहौर  ( 1923) में ही हुआ था |यही पर भगत सिंह बड़े बड़े क्रांति कारी नेताओ वह राष्ट्र वादी नेताओ से भगत सिंह की मुलाकात हुई थी | यही पर क्रतिकारियो की मुलाकात होती थी | यह लोग लाला राजपत राय के विचारो से जुड़े हुए थे |

सन 1924 में भगत सिंह हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन बने थे यह वही संस्था है जो सचिद्र सानियाल के निर्देस में सन 1924 में बनाया गया था | यह कान पुर में स्थापित था उसके बाद इसका हेडक्वार्टर आगरा में बनाया गया था कुछ समय बाद भगत सिंह ने भी इसकी सदस्यता ग्रहण कर ली | 1925 – 26 में नवजवान भातर सभा का गठन किया था जो की यह सभा भातर के उस समय आजादी के दिवाले ले कर चलते थे |

Bhagat Singh’s first arrest : भगत सिंग की पहली गिरफ्तारी

भगत सिंग की पहली गिरफ्तारी 1927 में पहली बार हुआ था भगत सिंग कि पहली गिरफ्तारी उनके एक लेख के कारन हुई थी | यह गिरफ्तारी उन दिनों स्वतंत्रता आन्दोलन की गतिविधियों को लेकर के काकोरी जो घटना हुई थी उसके संबध भगत सिंग की गरफ्तारी किया गया था |उनके लेख का नाम लेख विद्रोही  छदम था यही कारण से उनको गिरफ्तार किया गया था | उनका काकोरी मामले से संबध बताया जा रहा था लेकिन यह बाद में सिद्ध नही हुआ |

1928 में HRA जो संगठन था  उसके बाद HRA को फंग कर दिया था | फिर 1928 में फिरोज शाह कोटला मैदान जो की दिल्ली में है  आज वर्त्तमान के समय में उस मौदान को आरुण जेटली मैदान के नाम से जाना जाता है |

Hindustan Socialist Republican Association : हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपाब्लिकन एसोसिएशन

हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपाब्लिकन एसोसिएशन नामक एक संगठन का निर्माण किया गया जो कि HRA से बदल कर HSRA में बदल गया | उस समय के जितने भी चर्चित युवा क्रांतिकारी थे चाहे सरदार भगत सिंह हो सुखदेव, राज गुरु वतुकेश्वर हो या चंद्रशेखर आजाद हो ये सभी लोग वहा पर उसपस्थित थे और सभी लोगो ने मिल कर के ये संगठन का निर्माण किया था |

Arrival of Simon Commission : साइमन कमीशन का आगमन

उसी दौर या समय में साइमन कमीशन भारत आया था | साइमन कमीशन के भारत आने पर लोगो जगह जगह उसका विरोध कर रहे थे | जब साइमन कमीशन लाहोर पंहुचा तो लाहोर में लाला लाजपत राय की अगूवाई में सन 1928 में साइमन कमीशन के भारत आने पर बहुत विरोध हुआ था |

देश की स्वतंत्रता में  भगत सिंह का योगदान
देश की स्वतंत्रता में  भगत सिंह का योगदान

Lahore Conspiracy : लाहोर सद्यंत्र

वहा के तत्कालीन पुलिस अधिक्षक जिसका नाम जेम्स ए स्कोर्ट था वह उस समय के पुलिस अधिक्षक के पुर मर नियुक्त था उसने लाठी चार्ज का आदेश दे दिया था | इस लाठी चार्ज में लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गया था | उसके पश्चात उनकी मृत्यु हो गई थी तो लाला लाजपत के मृत्यु के बाला लेने के लिए उस समय के युवा क्रांति कारीयो ने जो की सरदार भगत सिंह के नेतृत्व में एक पालन बनाया और उस प्लान में इन लोगो ने वहा के तत्कालिक जो पुलिस अधिक्षक था | जेम्स स्कोर्ट इसको मारने का एक प्लान बनाया, इसकी हत्या का प्रयास किया |

यही जो काम इन्होने कारने का प्रयास किया | मरना तो चाहते थे यह लोग जिस्म स्कोर्ट को लेकिन इसके जगह जेपी साडर्स की हत्या हो गई वर्ष 1929 में | यही घटना लाहोर सद्यंत्र के नाम से जाने जाते है | भारत के इतिहास में इसी को लाहोर सद्यंत्र के नाम से जाना जाता है | इसके बाद यह सभी लोग यहाँ से फरार हो गए, इस घटना में यहाँ पर कोई गिरफ्तार नही हो पाया था | लेकिन उनके नाम से केस दर्ज जरुर कर लिया गया था और इन सभ लोगो के खिलाफ वारेंट जारी कर दिया गया था |

अंग्रेजो के द्वारा पेस बिल

1 सार्वजनिक सुरक्षा बिल

2 व्यापार विवाद विधेयक बिल

assembly bomb card : असेम्बली बम्ब काड

इन दोनों बिलों को लेकर भारत में भी जगह जगह विरोध प्रदर्शन चल रहा था | जब इसी बिल को लेकर असेम्बली में चर्चा हो रही थी तो वही पर सरदार भगत सिंग और इनके सहयोगी बटकेश्वर दत इन दोनों लोगो ने मिल के असेम्बली में बम्ब फेका असेम्बली सभा में और इस कारवाही को बाधित करने का प्रयास किया गया यहाँ पर इनका यह कहना था |

यह काम गुगे बहरो तक पहुचाने का एक प्रयास था की हम लोग सार्वजनिक सुरक्षा बिल और व्यापार विवाद विधेयक बिल का विरोध करते है | यह घटना 8 अप्रैल 1929 की थी इसी घटना को ही असेम्बली बम्ब काड कहा जाता है |

भारतीय इतिहास में इसी घटना को असेम्बली बम्ब काड कहा जाता है यही पर भगत सिंह और वट्केश्वर दत दोनों लोगो ने आत्म समर्पण कर दिया | यहा पर उनके पास भागने का मौका था लेकिन वह भागे नही और अपने आप को आत्म समर्पण कर दिया | यहाँ पर वह चाहते थे कि गिरफ्तार होकर अपनी बात को उअर मजबूती से रखेंगे | भारत कीस्वतंत्रता के लिए और अंग्रेजो को भारत से भागने ले लिए अब गिरफ्तार होकर अपनी बात रखी जाएगी | इस केस में इन दोनों पर मुक़दमा चला |

Bhagat Singh and Batukeshwar Dutt : भगत सिंह और वट्केश्वर दत

इन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी | लेकिन भगत सिंह का साथ यही तक था आगे अन्य मामलो में भगत सिंह को लेकर ब्रिटिस सरकार आगे की ओर बढती है लेकिन वट्केश्वर दत की सजा यही पर आजीवन कार वास तक ही हो जाता है |

भारत के स्वतंत्रता के बाद 1965 में इनकी मृत्यु हो जाती है | स्वतन्त्र भारत में वट्केश्वर दत की मृत्यु होती है | सरदार भगत सिंग वह इनके जो सहयोगी थे ये लोग लाहोर सद्यंत्र में वांक्षित थे | इस लोगो पर लाहोर सद्यंत्र केस का मुक़दमा चला | इस लाहोर सद्यंत्र में मुख्य रूप से सरदार भगत सिंह के अलावा राज गुरु और सुखदेव इन तीन लोगो को मुख्य या प्रमुख रूप से इस मामले पर आरोपी बनाया गया था |

martyrdom day : सहादत दिवस या शहीद दिवस

लाहोर सद्यंत्र केस में इन तीनो लोगो को फासी की सजा दी थी | यही फासी की सजा तीनो को 23 मार्च 1931 को ब्रिटिस हुकूमत के द्वारा फासी दिया गया था | यही 23 मार्च को इन तीनो शहीदों के नाम से सहादत दिवस बनाया करते है |यही भारत के स्वतंत्रता के समय भारत के स्वतंत्रता सेनानियों का साहस था और जिसको भारत के लोग आज भी याद करते है यह भारत के लोगो के लिए बहुत ही गर्व की बात है | कि हमारे भारत में इस तरह के लोग जन्म लिए और अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया |

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