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Togglecg menstrual leave policy | मासिक धर्म अवकाश छत्तीसगढ़
cg menstrual leave policy : सभी को पता है कि महिलाओ को अपने मासिक धर्म के दौरान कितनी परेशानियाँ होती है | उन्हें हर महीने इससे होने वाले दर्द को सहना पड़ता | कई महिलाये काम करने जाती है , बहुत सी महिलाये सरकारी नौकरी पर है | उन्हें हर महीने मासिक धर्म का सामना करना पड़ता है | उन्हें इसके असहनीय दर्द के बाद भी काम पर जाना पड़ता है | इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के सामने मासिक धर्म लिव के लिए नयी नीति का प्रस्ताव रखा गया था |
मासिक धर्म क्या होता है ?
मासिक धर्म हर महिला के जीवन का एक हिस्सा होता है | यह व्यस्क महिला को हर महीने होती है | मासिक धर्म उस समय कि अवधि है जिसमे एक महिला के गर्भाशय कि अंदरूनी परत मोतियापन होकर बहार आ जाती है | यह प्रक्रिया हर महिला के साथ हर महीने घटित होती है | इसकी अवधि 28 दिन कि होती है |
मासिक धर्म अवकाश
1 जुलाई से पहेल छतीसगढ़ में महिलाओं को अपने कार्य अवधि के दौरान मासिक धर्म आने पर छुट्टी नही दी जाती थी | मासिक धर्म अवकाश को लेकर ससंद भी प्रस्ताव रखा गया था लेकिन वहां पर इसे स्वीकार नही किया लेकिन इसे छत्तीसगढ़ में लागु कर दिया है | छत्तीसगढ़ के विधि विवि ने मासिक धर्म अवकाश निति लागू करने कि घोषणाकि है | छत्तीसगढ़ में स्थित हिदैदुल्ला लॉ विश्वविद्यालय ने अपने यहाँ पढने वाले छात्राओं और महिला कर्मचारियों को मासिक धर्म के दौराने होने वाले मुश्किलों से आराम देने के लिए मासिक धर्म अवकाश कि घोषणा कि है |
क्या है मासिक धर्म अवकाश निति
महिलाओं को हर महीने मासिक धर्म का सामान करना पड़ता है | इस दौराने उन्हें कई तरह के दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | उनके पेट में भारी दर्द होता है | इस मुस्किल से थोडा आराम देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ में स्थित हिदैदुल्ला लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्राओं और वहां पर कार्यरत शिक्षको को पीरियड्स के दौरान छुट्टी देने कि घोषण कि है | वहां के कुलपति डॉ. वी.सी.विवेकानंद ने मासिक धर्म अवकाश कि घोषण कि है | यह नियम हिदैदुल्ला लॉ यूनिवर्सिटी में 1 जुलाई से लागु हो जायेगा |
भारतीय संसद में भी रखा गया था इसका प्रस्ताव
किसी भी महिला या छात्रा को कार्यस्थल या स्कूल , कॉलेज में अपने मासिक धर्म के दौरान एक दिन कि छुट्टी लेने कि इस नीति को को मासिक धर्म अवकाश निति कहा जाता है | इस निति को पुरे देश में लागू करने के लिए संसद में इसका प्रस्ताव रखा गया था लेकिन संसद में यह निति पास नही हो पायी | हलाकि भारत के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राज्यों और अन्य पक्षों के साथ मिलकर महिलाओ के लिए मासिक धर्म अवकाश पर एक मॉडल तैयार करने के निर्देश दिया है |
देश के महिलाओं का कहना है कि उन्हें मासिक धर्म के दौरान कई तरह कि समस्याओं का सामना करना पड़ता है | उन्हें पेट में दर्द , चक्कर , कमजोरी , आदि समस्या का सामना करना पड़ता है | इसी कारण मासिक धर्म अवकाश निति आवश्यक है | उन्हें इससे होने वाली मुश्किलों से आराम मिलेगा | उन्हें कम से कम एक दिन कि छुट्टी इस दौरान दी जानी चाहिए |
मासिक धर्म के दौरान महिलाओ को होने वाली समस्या
महिलाओ को हर महीने पिरेड्स आते है | यह उनके जीवन का हिस्सा है | मासिक धर्म वह समय होता है जन महिला का शारीर अंडाणु को तैयार करता है और गर्भाशय को गर्भ धारण के लिए तैयार करता है | यदि महिला को गर्भ धारण नही होता तो यही अंडाणु खून के रूप में बहार निकल आता है | यह हर महीने होने वाला घटनाक्रम है | इसकी अवधि 28 दिन कि होती है | इस दौरान एक महिला को कई तरह कि मुश्किलों का सामना करना पड़ता है जैसे – पेड़ में बहत ज्यादा दर्द , चक्कर आना , कमजोरी , चिडचिडापन , सर दर्द , स्तनों में तनाव , कभी कभी इससे पैरो में सुजन कि भी समस्या उत्पन्न हो जाती है |
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