bharat kaa nila hira : भारत के जमीन से निकला सबसे बेस कीमती नीला हीरा
bharat kaa nila hira : भारत अपने अन्दर दुनिया के बेस कीमती चीजो को समाहित रखता है दुनिया के सबसे कीमती हीरे की बात करे तो वो भारत का ही है जो प्राचीन समय से लेकर आज के समय तक भारत के प्राचीन वह संमृद्ध इतिहास को बताता है |
गोलकुंडा खदान
नील हीरे को गोलकुंडा ब्लू डाइमेंड कहा जाता है इसे 14 मई को जिनेवा में क्रिस्टीज की सेल में सामने रखा जाएगा | ये नीलामी में आने वाला अब तक का सबसे अहम् हिरा है ये हिरा इंदौर के महाराज का था | पहले के समय में भी गोलकुंडा के हीरे यूरोप और फारस के राज घरानों के लिए प्रतिष्टा का सवाल बने रहे है | ये नीला हिरा भी इतिहास का अहम हिस्सा है |

ये हीरे गोलकुंडा के खदानों से आया है जो दक्षिण मध्य भारत में है ये वही खदान है जिसने दुनिया को सबसे मशहूर हीरो को दिया है | महारानी के ताज वाला कोहिनूर हीरा और क्रिस्टीज में सेल के लिए भी आया ये हिरा ये सभी गोलकुंडा के खदानों से ही आया है |
हीरा का नीला रंग
इस हीरे के रंग के पीछे असल में रसायन विज्ञान छिपा हुआ है नीले हीरे में बोरोन होता है इस हीरे में बिजली के कंडक्टर भी होते है इस हीरे से आप बिजली बहा सकते है | बोरोन जितना अधिक होगा रंग उतना ही गहरा होगा, ये विविध नीला है |
अमेरिकी जेन इंस्टिट्यूट
अमेरिकी जेन इंस्टिट्यूट की परिभाषा के अनुशार ये प्राकृतिक रूप से मिलने वाला सबसे गहरा हिरा नीला है लन्दन स्थित नीलामी घर क्रिस्टीज के मुताबिक इस हीरे का दम साढ़े 3 करोड़ से लेकर 5 करोड़ डॉलर के बीच का बताया गया है | कुछ रिपोर्टो के मिताबिक 1923 में इंदौर के महाराज यशवंत राय होल्कर ने यह हीरा अपने रत्न भंडार में शामिल किया |
इस रत्न से जुडी ख़ास बाते
इस रत्न के बारे में ख़ास बात यह है कि ये हीरा सौ साल से भी ज्यादा के सालो में अभी तक नही बदला है इस हीरे का वजन अभी तक वही है 23.24 कैरेट | इस हीरे की न तो बनावट बदली है न ही आकार को बदला गया है |
इस हीरे की उदगम की अनूठी दास्ताँ इसे ख़ास बनाती है इस हीरे का नया मालिक इतिहास के नए हिस्से को भी हाशिल करेगा | पहले इस हीरे को ब्रेसलेट में लगाया गया भीर इस हीरे को गले के हार में लगाया गया | अभी के समय में ये हिरा अंगूठी में जड़ा है |
ये हीरा किसी भी हीरे के दाम के लिए एक रिकोर्ड बनाएगा | अभी के समय में बाजार में जो भी नील हीरे है वो भी दुर्लभ है लेकिन गोलकुंडा से निकला ऐसा हिरा आगे कही भी नही होगा |
इतिहास के पन्ने
इतिहासिक रिकोर्ड बताते है कि ब्रिटिश के हुकूमत के दौरान जब भारत की अधिकास जनता गरीबी से जूझ रही थी तब कैसे कुछ राजा और नवाब अपनी गद्दी बचाने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों की चापलूसी कर रहे थे | कीमती सामानों को लुटा गया या इसे तौफे में दिया गया आज यही संपत्ति दुनिया भर की नीलामी घरो में दिखाई देती है |
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