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agaria tribe chhattisgarh : अगरिया जनजाति छतीसगढ़ के बारे में पूरी जानकारी

 agaria tribe chhattisgarh
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 agaria tribe chhattisgarh | अगरिया जनजाति छत्तीसगढ़

 

 agaria tribe chhattisgarh : अगरिया जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक और प्रमुख जनजाति समुदाय है |  agaria tribe  छत्तीसगढ़ राज्य की एक मत्वपूर्ण जनजाति समुदाय है | अगरिया जनजाति पितृ वंशीय , पितृ सत्तात्मंक और पितृ निवास स्थानीय जनजाति है | इस जनजाति समुदाय में पथिरिया और खुटिया दो उपजाति है | जो लोहे के वस्तु को पत्थर पर रखकर उसे पिट पिट कर उससे औजार या अन्य सामाग्री बनाता है उसे पथरिया कहा जाता है |

जो लोहे की खूंटी पर रख कर गर्म लोहे को पिटकर उपकरण बनाता है उसे खुटिया उपजाति कहते है | छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले से इस जनजाति समुदाय को असुर अगरिया जनजाति कहा जाता है | agaria janjati  के लोग मुख्य रूप से लोहे को गला कर उससे उपकरण बनाने का कम करते है |

छत्तीसगढ़ के कौन कौन से जिले में पाए जाता है

 agaria tribe छत्तीसगढ़ राज्य की के प्रमुख जनजाति समुदाय है यह जनजाति समुदाय लोहे को गला कर उससे उपकरण बनाने का कम करती है | इस जनजाति समुदाय को भी गोंड जनजाति का ही वंध माना जाता है | इस जनजाति समुदाय के लोग छत्तीसगढ़ राज्य के कई जिलो मि निवास करते है जैसे – कोरबा , कोरिया , बिलासपुर , बलरामपुर , सूरजपुर और राजनंदगांव , सरगुजा जिले में निवास करते है | साथ ही यह  agaria janjati  समुदाय भारत के कई राज्यों में भी निवास करते है जैसे – मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ , उत्तरप्रदेश , झारखंड , बिहार और पश्चिम बंगाल आदि |

अगरिया जनजाति के प्रमुख व्यवसाय

agaria janjati  का प्रमुख व्यवसाय लोहे को गलाकर लोहे का उपकारण बनाना है | ये लौह अयस्क को कोयले की भट्टी में गर्म करते है | इसके बाद  agaria tribe  की महिलाये चमड़े की धोकनी पर खड़े होकर पैर से दबा कर उसे हवा देती है | लौह अयस्क से लोहा गलकर अलग हो जाता है | उसके बाद उससे भिन्न – भिन्न चीज़े बनाई जाता है जैसे – कुल्हाड़ी , हसिया , फावड़ा , कुदाल , तीर की नोक आदि | इसके अलावा ये लोग खेती का भी काम करती है और ये कोदो , कुटकी , मक्का , उड़द , मुंग आदि उगाते है | ये जंगलो से महुआ , तेंदू , तेंदू पत्ता , गुल्ली आदि इकट्ठा करते है | और उसे बाजार में बींच कर अच्छा मुनाफा कमाते है |

 agaria tribe
agaria tribe

अगरिया जनजाति के प्रमुख लोकगीत और लोकनृत्य

 agaria tribe छत्तीसगढ़ की एक बहुत ही प्रमुख जनजाति है यह जनजाति समुदाय लोगो को गलाकर उनसे कई तरह की चीज़े बनाते है जैसे हसिया , कुदाल , फावड़ा , कुल्हाड़ी आदि | यह इनका मुख्य व्यवसाय है | यह जनजाति समुदाय अपनी लोकगीत और लोकनृत्य के लिए भी जानी जाती है इनका प्रमुख लोकगीत सुआ गीत , करमा गीत , ददरिया , विवाह गीत फाग गीत आदि है | इस जनजाति समुदाय के प्रमुख लोकनृत्य में करमा नृत्य म दीपावली के अवसर में पडकी नृत्य , विवाह के अवसर ने विवाह नृत्य आदि आते है |

अगरिया जनजाति के प्रमुख देवी देवता

agaria janjati  के प्रमुख देवी देवताओ में बुढादेव , लोहासुर , ठाकुर देव , दूल्हा देव , शीतला माता , बाघ देव , जोगनी , घुरला घाट आदि शामिल है इसके अलावा हिन्दू धार्मिक जीवन में देवी देवता है उनकी पूजा की जाती है | इस जनजाति के लोग काले जादू , टोना टोटका , भुत प्रेत जैसी चीजों पर भी विश्वास करते है | हर साल दशहरे के दिन लोहासुर को काले मुर्गे की बलि देने की प्रथा है |

अगरिया जनजाति कुछ ख़ास बातें

  • agaria janjati  को गोंड जनजाति का ही वंश माना जाता है |
  • इस जनजाति के लोग लोहे को गलाकर भिन्न – भिन्न चीज़े बनाते है |
  • अगरिया जनजाति के प्रमुख देवता लोहासुर है |
  • इस जनजाति के लोग पत्थर से सीधे लोहा निकलने का कम करते है |
  • अगरिया जनजाति नौ मुंडा संथाल जनजाति में से एक है |
  • इस जनजाति के लोग टोना – टोटका , काला जादू , आदि अन्धविश्वास पर भी विश्वास करते है |

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