Chandrashekhar Azad Ravan Biography in Hindi : चंद्रशेखर आज़ाद को रावण क्यों कहा जाता है?
भारत के दलित आंदोलन से जुड़े सबसे चर्चित युवा नेताओं में से एक नाम है चंद्रशेखर आज़ाद रावण (Chandrashekhar Azad Ravan)। वे भीम आर्मी (Bhim Army) के संस्थापक और दलित अधिकारों की आवाज़ के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं – उन्हें रावण क्यों कहा जाता है?
चंद्रशेखर आज़ाद रावण कौन हैं?
चंद्रशेखर आज़ाद रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हुआ। वे पेशे से वकील और समाज सुधारक हैं। 2015 में उन्होंने भीम आर्मी भारत एकता मिशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दलित समाज को शिक्षा, समानता और न्याय दिलाना है।
चंद्रशेखर आज़ाद को “रावण” क्यों कहा जाता है?
1. ब्राह्मणवाद और जातिवाद के खिलाफ प्रतीक
भारत की परंपरा में रावण को नकारात्मक रूप में दिखाया गया है, लेकिन दलित-बहुजन समाज के कई हिस्सों में रावण को ज्ञान, विद्या और ब्राह्मणवाद के विरोध का प्रतीक माना जाता है।
- चंद्रशेखर ने “रावण” नाम को अपनाकर यह संदेश दिया कि वे जातिवाद और अन्याय के खिलाफ विद्रोह का प्रतीक हैं।
2. दलित समाज की पहचान और सम्मान
दलित समाज के बीच रावण को एक वीर योद्धा, महान विद्वान और आत्मसम्मान का प्रतीक माना जाता है।
- चंद्रशेखर ने इस पहचान को स्वीकार कर अपनी राजनीति और आंदोलन को एक नयी धार दी।
3. दमन के खिलाफ विद्रोह का प्रतीक
जब जातिवादी ताकतें उन्हें रावण कहकर अपमानित करने की कोशिश करती थीं, तब चंद्रशेखर ने गर्व से कहा –
“अगर मेरे हक और अधिकार की लड़ाई मुझे रावण बनाती है, तो मैं गर्व से रावण कहलाऊँगा।”
4. राजनीतिक और सामाजिक रणनीति
“रावण” उपनाम उन्हें बाक़ी नेताओं से अलग करता है और सीधे तौर पर उन्हें दलित अधिकारों की मज़बूत आवाज़ के रूप में प्रस्तुत करता है। यह नाम उनके लिए एक ब्रांड और पहचान बन चुका है।
चंद्रशेखर आज़ाद रावण का प्रभाव
- वे दलित युवाओं में आशा और प्रेरणा का केंद्र बने।
- उनकी पहचान अब राष्ट्रीय राजनीति तक पहुँच चुकी है।
- वे खुद को डॉ. भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के विचारों का अनुयायी मानते हैं।
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