covaxin : कोवैक्सिन
कोवैक्सिन ( covaxin ) भारत द्वारा निर्मित एक स्वदेशी वैक्सीन है| इसे भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया गया था| यह covid-19 से सुरक्षा के लिए बनाया गया था| यह निष्क्रिय वायरस वैक्सीन है| इस वैक्सीन में मारे गए वायरस का इस्तेमाल किया गया है| जिससे यह शरीर में प्रतिरक्षा क्रिया पैदा कर सके और बिना बीमारी का कारण बन सके| डोज की बात करे तो इसे 2 खुराक में दिया जाता है पहली खुराक के बाद दूसरा 28 दिनों के बाद दिया जाता है|
side effect of covaxin : कोवैक्सिन के दुष्प्रभाव या नुकसान
science general SpringerLink में ज्ञापित एक रिसर्च के अनुसार the economic times कोवैक्सिन के साइड इफ़ेक्ट बताये है| रिसर्च के अनुसार बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में एक स्टडी हुई है उसके अनुसार बहुत से लोगो को side effect of covaxin देखे गए | इनमे सांस सम्बन्धी समस्या, रक्त का थक्का जमना, और त्वचा से जुडी बीमारियाँ देखने को मिली है| इन्होने पाया की किशोरियों को जिन्हें एलर्जी से भी समस्या है उनमे कोवैक्सिन से जुडी ऐसी समस्या हुई है|
कोवैक्सिन से होने समस्या
side effect of covaxin :-
- जो स्टडी कर रहे थे उनमे से एक शोधकर्ता ने कहा की हमने उन लोगो का डेटा को एकत्र किया है जिन्हें कोवैक्सिन लगे एक साल हो गए है| लगभग 1024 लोगो पर शोध हुआ और इनमे पाया गया की 304 किशोरों और 124 युवाओ या वयस्कों में सांस सम्बन्धी संक्रमण पाया गया| जिससे उन्हें सर्दी, खांसी की समस्या होने लगी|
- शोध में यह भी देखा गया की नाबालिको में त्वचा से जुडी बीमारियाँ पाई गयी , नर्वस सिस्टम से सम्बन्धी बीमारी 4.8% देखे गए और सामान्य बीमारी 10.3% पाया गया| दसूरी तरफ युवाओ में सामान्य बीमारी 8.7% हड्डियों से सम्बन्धी समस्या 5.7% और नर्वस से जुडी समस्या 5.5 प्रतिशत देखा गया|
- कोवैक्सिन के साइड इफ़ेक्ट में लगभग 4.7% किशोरियों में मासिक धर्म सम्बन्धी असामान्यता (अनियमित )देखने को मिला | आँखों से समबन्धि समस्या 2.7 प्रतिशत, 0.4 प्रतिशत में स्ट्रोक और 0.1 प्रतिशत में गुलियान बेरी सिंड्रोम पाया गया|
गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS )
यह एक ऐसी बीमारी है जो लकवे की तरह बॉडी के बड़े भागो को धीरे धीरे शून्य कर देती है| NINDS के अनुसार यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है| प्रत्येक वर्ष एक लाख लोगो में एक को यह बीमारी होती है| गुलियन बेरी सिंड्रोम से ग्रसित मरीजो में रक्त का थक्का, कार्डियक अरेस्ट और संक्रमण सम्बन्धी खतरा बढ़ जाता है| प्रत्येक वर्ष गुलियन बेरी सिंड्रोम से ग्रसित 7.5 लोग मर जाते है| इससे पीड़ित लोगो को वेंटिलेटर से काम चलाना पड़ता है और लगभग 24 प्रतिसह्त मरीज छह माह तक चल-फिर नहीं सकते|
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