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Maria Bhat tradition : जानिये छतीसगढ़ के मरिया भात प्रथा के बारे में

Maria Bhat tradition
Maria Bhat tradition

Maria Bhat tradition | मारिया भात प्रथा छत्तीसगढ़

Maria Bhat tradition : मारिया भात प्रथा छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी प्रथाओ में से एक है |मारिया भात प्रथा  को छत्तीसगढ़ के कई गाँव सहित शहरों में इस इस प्रथा को निभाया जाता है | हालाँकि शहरों में यह प्रथा काम ही देखि जाती है | लेकिन गांवो ने यहाँ प्रथा अनिवार्य रूप से देखी जा सकती है | मरिया प्रथा केवल छत्तीसगढ़ में ही नही बल्कि भारत के कई अन्य राज्यों में भी इस तरह की प्रथा दिखाई देती है | इसमें मध्यप्रदेश , उत्तरप्रदेश जैसे कई राज्यों के गाँव शामिल है | लेकिन यह प्रथा छत्तीसगढ़ के गांवो में सामान्य रूप से देखी जा सकती है |

मरिया भात प्रथा क्या है ?

मारिया भात प्रथा छत्तीसगढ़ जी सबसे पुरानी प्रथाओ में से एक है | इस प्रथा को छत्तीसगढ़ के लगभग सभी गांवो में अनिवार्य रूप से निभाया जाता है | छत्तीसगढ़ पहले मध्यप्रदेश राज्य का हिस्सा था इससे यह स्पष्ट है की मध्यप्रदेश के गांवो में यह प्रथा आज भी प्रचलित है | छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश राज्य से 1 नवम्बर सन 2000 में अलग हो गया | और आज के आधुनिक समय में भी इस प्रथा का बड़ी सख्ती से पालन किया जाता है | गांवो में जब किसी के घर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके परिवार के सदस्यों को उनके गांवो के लोगो को अपने घर में बैठा कर भोजन कराया जाता है , इस प्रथा को ही मरिया भात प्रथा कहा जाता है |

क्या मरिया भात प्रथा सही है ?

मारिया भात प्रथा छत्तीसगढ़ की बहुत ही समान्य प्रथा है जिसे हर गाँव में बड़ी ही सख्ती के साथ पूरा किए जाता है | यह छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे पुरानी प्रथाओ में से एक है | मारिया भात प्रथा में जब गाँव में किसी के यहाँ कसी की मृत्यु हो जाती है तो अपने अपने अपने समाजिक नियमो के अनुसार मृत्यु के निश्चित समय अन्तराल के बाद गांवो के लोगो को अपने घर में भोजन करवानी पड़ती है | लेकिन सवाल यह उठता है की के क्या यह प्रथा सही है |

इस प्रथा को कु-प्रथा कहे तो कोई बड़ी बात नही होगी क्युकी जिस व्यक्ति के घर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा है उसके यहाँ और दावत उड़ना कहाँ से सही ह सकता है | उस घर के लोग उस समय उस दुःख से उभरे भी होते है की लोगो को इतना सारा धन व्यय करके गांव वालो को भोजन करवाना पड़ता है |

सरकार को गाँव स्तर पर आकर इस प्रथा के बारे में लोगो को जागरुक करना बहुत ही जरुरी है | ऐसा ना किया गया तो एक दिन इस प्रथा के कारण अपने समाज पर से भरोसा उठ जाएगा | उनके मन में यह विचार अवश्य आयेगा की जो समाज उनके बुरे समय में उनसे ये सब करवा रही है वो कैसा समाज इससे अच्छा इससे अलग होना बेहतर |

मारिया भात प्रथा छत्तीसगढ़
मारिया भात प्रथा छत्तीसगढ़

 

छत्तीसगढ़ के 10वीं के पाठयक्रम में शामिल इसकी एक कहानी

मारिया भात प्रथा  के बारे में बच्चो में जागरूकता पैदा करने के लिए इस प्रथा के प्रभावों से अवगत करने के लिए इसकी एक कहानी 10वीं कक्षा के हिंदी के पाठयक्रम में इसे शामिल किया गया है | इस कहानी का नाम मरिया है जिसके लेखक श्री परदेशी राम वर्मा जी है | इसमें इस प्रथा का मृत व्यक्ति के परिवार पड़ने वाले बोझ को स्पष्ट रूप से दिखाया गया है | इस कहानी को बच्चो के जरिये घर के बड़ो को जागरूक करने की कोशिश जी गयी है |

मरिया भात प्रथा के दुष्प्रभाव

मारिया भात प्रथा के दुष्प्रभाव इस प्रकार है –

  • समाजिक भरोसे का पतन हो जाता है |
  • मृतक के परिवार को भरी खर्च वहन करना पड़ता है |
  • मृतक के परिवार को इसके लिए कर्ज तक लेना पड़ जाता है जिससे मृतक का परिवार कर्ज बोझ तले दब जाता है |
  • इस प्रथा के कारण सामाजिक द्वेष देखने को मिलते है |

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