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madras high court : भारत के सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया मद्रास हाई कोर्ट के बाल पोर्न सबंधी आदेश को

madras high court
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madras high court | सुप्रीम कोर्ट ने बाल पोर्न पर खारिज किया हाई कोर्ट का आदेश

madras high court : भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इस देश में हो रहे बाल शोषण को रोकने के लिए कड़े कानून पर एक एतिहासिक फैसला लिया है | और फैसला सुनाते हुए कहा है की child pornography  को देखना और डाऊनलोड करना यौन अपराधो से बच्चो का संरक्षण अधिनियम के तहत एक बहुत ही बड़ा अपराध है | भारत के  suprim court   के मुख्य न्यायधीश माननीय डीवाई चन्द्रचुड और न्यायमूर्ति जेबी पादरिवाला की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के द्वारा जारी किये गये उस आदेश को ख़ारिज कर दिया |

जिसमे कहा गया था की केवल बाल पोर्नोग्राफी देखना और उसे अपने फ़ोन में या अन्य किसी भी साधन में डाऊनलोड करना पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध नही है | भारत के सर्वोच्च न्यायलय ने कहा की भारत के मद्रास हाई कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए भारी त्रुटी की है | और भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है की बाल पोर्नोग्राफी को देखना और डाऊनलोड करना यौन अपराधो से बच्चो का संरक्षण अधिनियम के तहत एक बहुत ही बड़ा अपराध है कहते हुए आदेश को खारिज कर दिया |

suprim court 
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जाने क्या है पूरा मामला

मद्रास हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसे मामले में आया था जिसमे एक 28 वर्षीय व्यक्ति पर अपने फ़ोन में  child pornography  डाउनलोड करने का आरोप लगाया गया था | और  madras high court ने इसके लिए अपराधिक कार्रवाही को रोक दिया था | और कहा था की आज कल बच्चे पोर्नोग्राफी देखने के गंभीर मामलों से जूझ रहे है | और समाज को उन्हें दण्डित करने के बजाए उन्हें शिक्षित करने के लिए पर्याप्त परिपक्व होना चाहिए |

लेकिन भारत के  suprim court  ने आज उस व्यक्ति के ऊपर अपराधिक कार्यवाही बहाल कर दिया है | सुरुआत में भारत के  suprim court   के नयायमूर्ति पादारिवाला ने इस निर्णय को लिखने का अवसर देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश माननीय डिवाई चंद्रचूड जी का धन्यवाद किया | आदेश में पोक्सो अधिनियम की धारा 15 पर ध्यान केन्द्रित किया गया जिसमे बच्चों से जुडी अश्लील चीजों से जुडी विभिन्न दण्ड के प्रावधान है |

धारा में कहा गया है की कोई भी व्यक्ति को अपने फ़ोन बच्चो से जुडी कसी भी अश्लील सामग्री को देखता है या उसे कसी भी अश्लील सामग्री को देखता है या उसे डाउनलोड करता है और इसकी सूचना नही देता है या इसे नष्ट नही करता है उसे कम से कम 5 हजार रूपये का जुर्माना देना होगा | और यही उस अपराधी के द्वारा उस सामग्री को आगि किसी भी तरह से शेयर किया जाता है तो उसे जुर्माने के साथ साथ तीन साल तक कारावास का दण्ड का भी प्रावधान है |

किसी भी तरह के व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए बच्चो से जूडी अश्लील चीजों को एकत्र करने अपर तीन से पांच साल तक के कारावास का दण्ड दिया जा सकता है | और बाद में दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा दी जाती है |

क्या कहा न्यायमूर्ति पादारिवाला ने

न्यायमूर्ति पादारिवाला ने कहा की इस मामले में मेंस रिया को एक्टस रिया से लिया जाना है | मेंस रिया अपराध के पीछे की मंसा को सदर्भित करता है | एक्ट्स रिया वास्तिविक अपराध कृत्य है | पीठ ने कहा हमने बच्चो के उत्पीडन और दुर्व्यवहार पर बाल पोर्नोग्राफी के प्रभाव के बारे में कहा है की हमने पोक्सो में सुधार के लिए संसद में प्रस्ताव दिया है | ताकि  child pornography   को बच्चो के यौन शोषण और शोषण कारी सामाग्री के रूप में संस्र्भित किया जा सके |

हमने सुझाव दिया है की इस पर के अध्य्देश लाया जा सकता है | हमने देश के सभी आदालतो को कहा की वे कसी भी बाल आदेश में बाल पोर्नोग्राफी का उल्लंखन ने करें |

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