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ToggleKhajuraho temple of Chhattisgarh : विश्व प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ का khajuraho mandir
Khajuraho temple of Chhattisgarh : bhoramdev mandir छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित है जिसकी दुरी कबीरधाम से 18 किलोमीटर और रायपुर से जाएगे तो 125 किलोमीटर की दुरी तैय करनी पड़ेगी | यह कबीरधाम जिले के चौरागाँव में स्थित है | जिसका अनुमाल लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है इस मंदिर के चारो तरफ मैकल पर्वतसमूह है जिसके बीच हरी भरी घाटियों में यह मंदिर है | मंदिर के सामने एक सुन्दर तालाब भी है जो इसकी सुन्दरता को और बढ़ा देती है |
स्थित – मध्यप्रदेश ( छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के चोरा गाँव )
अन्य नाम – इसे छत्तीसगढ़ी का खजुराहो भी कहते है
bhoramdev mandir की विशेषता
- यहाँ आपको कामुख मुर्तिया देखने को मिलेगी जैसे की khajuraho mandir में है |
- यहाँ की अपने आप में इसकी अलग विशेषता है |
- यह मंदिर पिछले 1000 साल से खड़ा हुआ है जो लोगो को कामवासना का धार्मिक ज्ञान बता रहा है |
- आज के समय में लोग कामवासना पर खुल कर बात ही नही करना चाहता है यह मंदिर पिछले हजारो सालो से यह बता रहा है कि मानव जीवन का यह भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इसी लिए मानव को सान से जीना चाहिए |
bhoramdev mandir की सुन्दरता
इस मंदिर की सुन्दरता को देखने के लिए दूर दूर से लोग यहाँ आते है | यह छत्तीसगढ़ के कबीरधाम के चोरा गाँव में स्थित है इस मंदिर के निर्माण का समय लगभग 1000 वर्ष पहले का माना जाता है यह मंदिर महादेव जी का है | इस मंदिर के चारो तरफ मैकल पर्वत समूह है यह मंदिर पर्वतो वह हरी भरी घाटियों के मध्य में स्थित है | इस मंदिर के ठीक सामने में ही एक सुन्दर तालाब है | इस मंदिर के परिसद में एक सुन्दर सा पार्क भी स्थित है | इस गार्डन में आपको एक नटराज की प्रतिमा भी देखने को मिलेगी | जो की पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का केद्र है |
bhoramdev mandir का निर्माण खजुराहो तथा कोणार्क मंदिर के समान ही हुआ है इस कारण से इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है | यह मंदिर सत्पुना के मैकल पर्वतों की श्रेणियों के बीच यह मंदिर प्रकृति के गोद में बसा हुआ है | इसकी अद्भुत छटा देखते ही बनती है |
यह मंदिर नागर सैली का एक सुन्दर उदहारण है | जिसकी सुन्दरता लोगो को khajuraho mandir की याद दिलाती है | इस मंदिर का निर्माण खजुराहो के कोनारक और अजानता एलोरा आदि मंदिरों के समान या उनकी कलाकृतियों से मिलती जुलती है | जिसके कारण से इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहते है |
bhoramdev mandir
bhoramdev गोंड जाति के उपास्य देव है जो महादेव शिव का एक नाम है इस मंदिर के निर्माण करता शिवा जी के परम भक्त थे सायद यही कारण है कि यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवाल शिव अपने ख़ास वह अलग अलग रूप में स्थित है | भगवान शिव को छत्तीसगढ़ के स्थानीय बोल चाल की भाषा में bhoramdev कहते है |
bhoramdev mandir का निर्माण
इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवी शताब्दी में यानी 1089 ईसवी में नागवंशी शासक गोपाल देव राय ने कराया था | इस मंदिर के परिषर में विभिन्न देवी देवताओ के प्रतिमाए और स्तम्भ देखने को मिल जाएगे | उनमे से बहुत से सिला लेख खोदाई के समय प्राप्त हुए थे |
उगते सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित प्रतिमा में पड़ती है तो वह स्थापित शिव प्रतिमा जगमगा उठती है | ऐसा लगता है मानो भगवान शिव स्वंम नीद से जाग ऊचे हो | इस मंदिर में विष्णु, शिव की प्रतिमा विराज मान है | इस मंदिर में चतुर्भुज शिव के स्थानिक प्रतिमा, लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा एवं द्विय भुजीय बाम्हन प्रतिमा विष्णव प्रतिमा का नेतृत्व करती है |
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