Chhattisgarh ka Nirman : छत्तीसगढ़ का नाम कैसे पड़ा जानिए इसकी पूरी कहानी
Chhattisgarh ka Nirman : रामायण काल के समय में जीस क्षेत्र को दक्षिण कौशल कहा जाता था 14 से 15वी शताब्दी के समय में जहा कोड राजाओं ने यहाँ पर ऐसा साम्राज्य का निर्माण किया इसमें 36 किलो का निर्माण किया गया इसी लिए इसे छत्तीसगढ़ कहा जाने लगा |

1686 में पहली बार छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh ) शब्द का उल्लेख एक कवि की किताब में किया गया था छत्तीसगढ़(Chhattisgarh ) को राज्य के तौर पर इस क्षेत्र की आहट वो समय था आजादी के बहुत पहले अगर छत्तीसगढ़ को राजनीतिक तौर पर देखे तो बहुत लंबा इतिहास नही है |
छत्तीसगढ़ का राजनीतिक इतिहास
ये इतिहास है बहुत अच्छा छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक कलेक्टर एक डॉक्टर और एक किसान इन तीनो में किसी को भी राजनीति विरासत में नही मिली थी | लेकिन नियति ने इन्हें ही चुना छत्तीसगढ़ की राजनीति के इतिहास को रचने के लिए |
देश की आजादी से बहुत पहले ही 1939 में कॉग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन में पहली बार छत्तीसगढ़(Chhattisgarh ) राज्य की माग उठाई गई थी | इसके बाद समय समय पर बहुत से संगठनों ने छत्तीसगढ़ राज्य की माग को लेकर आन्दोलन चलाए |
विद्याचरण शुक्ल
विद्याचरण शुक्ल ने 90 की दसक के ख़त्म होते होते काफी तेज कर दिया था ऐसे माहोल में 1998 में लोग सभा चुनाव के प्रचार में अटल विहारी बाजपाई ने जनता से वादा किया | भाजपा की केद्र में सरकार बनी त्तकालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपाई ने छत्तीसगढ़ के लोगो से यह वादा किया था कि आप मुझे 11 लोक सभा सीठे जीता कर दिजिए मै आप लोगो को छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा |
1999 में NDA की सरकार
1999 में NDA की सरकार बन्ने के तुरंत बाद अटल बिहारी वाजपाई प्रधान मंत्री बन गए | एक तो अटज जी का रायपुर की जनता से पृथक छत्तीसगढ़ का वादा था वही दूसरी ओर BJP की राजनीति लंबे समय में छोटे राज्यों के पक्षधर था |
संकल्प के साथ जनता मिली तो छत्तीसगढ़ राज्य जनता के चित्र पर कड़ा उतरा | उस समय मध्यप्रदेश के 3 संभाग रायपुर, बिलासपुर और बस्तर के 16 जिले 96 तहसीले और 146 विकास खण्ड को मिला कर तब भारत के 26 वे राज्य छत्तीसगढ़ का गठन हो गया | जुलाई 2000 से 31 अक्तूबर तक की आधी रात तक पूरा मध्यप्रदेश बेचैनी में रहा, 320 में 90 विधायक में से 13 तो मंत्री थे ये लोग हमेशा के लिए मध्यप्रदेश से अलग हो रहे थे |
राज्य पाल की सप्त
राज्य पाल दिनेश नंदन साय की सप्त के बाद मुख्यमंत्री की सप्त करीब 20 मिनट तक रुकी रही कारण थे विद्याचरण शुक्ल उस समय विद्याचरण के जो समर्थक थे उनको खुद लगता था कि वे कुल 12 है या कहे की 12 से अधिक उनके साथ कभी नही थे और सच तो यह है कि मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद जितने विधायक थे उनमे से अधिकतर दिग्विजय जी के समर्थक थे उन लोगो का नेता दिग्विजय सिंग था |
छत्तीसगढ़ राज्य
एक राज्य के तौर पर छत्तीसगढ़(Chhattisgarh ) नया था जिस विधान सभा से सरकार यहाँ बननी थी उस मध्यप्रदेश में कॉग्रेस बहुमत में थी कॉग्रेस आला कमाट ने तैय किया की मुख्य मंत्री अजीत जोगी होगा | जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग नही हुआ था तो उस वक्त अजीत जोगी 14 साल तक कलेक्टर की post पर थे जिसमे सीधी और सहडोल में भी वह प्रशासनिक सेवा दी | सीधी में पड़ता है चुरहट यानि प्रदेश के तत्कालीन गद्दावर नेता अर्जुन सिंग का गड कहा जाता है अर्जुन सिंग से जोगी बेहद प्रभावित हुए |
अजीत जोगी और अर्जुन सिंग की और राजनितिक संबंध प्रसाशनिक व्यवस्था मधुर संबंध ऐसे हो गए थे कि बाद में अर्जुन सिंग ने उन्हें राजीव गाँधी से मिलवाया राजीव गाँधी से मिलवाने के बाद उनके सरकारी नौकरी से इतिफा देकर राज्य सभा में पहुचे |
इसी तरह के महत्वपूर्ण जानकारी के लिए sujhaw24.com के हमारे सोशल मिडिया वेबसाईट पर जरुर विजिट करे |
Join WhatsApp Group | ![]() |
Join Telegram Channel | ![]() |
इसे भी पढ़े :-