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casteism in india : जातिवाद समझे और जाने देखे इसकी वास्तविकता

casteism in india
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casteism in india | जातिवाद , जातिवादी लोग

 

casteism in india : भारत को आजाद हुए अब तक 78 साल हो गये है , लेकिन कहा जाए तो भारत आत तक पूरी तरीके से आजद नही हो पाया है | आज भी देखा जाए तो हमारे देश के उन महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज आज भी देखा जाए तो हमारे देश के उन महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारको की कुर्बानी व्यर्थ है | आज भी भारतीय समाज वही पुरानी  casteism  सोच में लगे हुए है लोगो आज के पुरानी जातिवादी सोच में लगे हुए है लोगो आज के समय में भी इंसान की नही जात पात की पड़ी है |

आज भी भारतीय समाज में जातिवाद बड़े ही पैमाने पर भारतीय समाज में जातिवाद बड़े ही पैमाने पर व्यप्त है | यह चीज़े बहुत ही सुविधाजनक तरीके से शादी व्याह जैसे चीजों में , इंटरकास्ट प्रेम विवाह में देखा जा सकता है | कई समाज में तो यहाँ तक है की अगर किसी अलग जाति के लड़के या लड़की ने किसी दुसरे caste के लड़की या लड़के से शादी कर ली तो उसे उसके परिवार दूर कर दिया जाता है | ?

उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है | मै समाज के उन ठेकेदारों से पूछना चाहता हु की क्या कोई धर्म या जात किसी इन्सान से या प्रेम से भी बढकर है ? सीधा सीधा बोला जाए तो  आज हम जिस हिन्दू आज हम जिस हिन्दू पर इतना गर्व करते है उसी हिंदी समाज में बहुत ही ज्यादा गिरी हुयी अवस्था दिखाई पड़ती है |

हिन्दू धर्म में ही कई जाती है और यहाँ पर ऐसी व्यवस्था है की अगर कोई सतनामी लड़की कसी दुसरे caste  जैसे यादव , साहू , निषाद आदि के घर प्रेम विवाह करके जाए तो लड़के को तो मिला लिया जायेगा लेकिन लड़की सतनामी उसे कभी नही मिलाया जाएगा | वो भी तो इंसान ही है क्या हुआ अगर वो दूसरी caste  की है ऐसा भेदभाव केवल लडकियों के साथ नही बल्कि लडको के साथ भी देखने को मिलता है |

वास्तव में आज लोग जिस धर्म और में आज लोग जिस धर्म और जातिवाद पर इतना उछल रहे उन्हें इसके इतिहास के बारे में ही पता नही है | पूरी दुनिया इस बात को जानती है की अंग्रेजो का भारत में इतने दिनों तक राज करने तरिका क्या था | उन्होंने भारतीय समाज के इसी  casteism  और धर्म को लेकर चल रहे संघर्ष का ही लाभ उठाकर 200सालो तक राज किया |

और इसी उन्होने आपको बता दू की अंग्रेजो ने भारत के इतिहास की पुनर्रचना 18 वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू कर दी थी जब उन्हें बंगाल , बिहार और ओड़िसा ने साल 1765 में दीवानी अधिकार दिए गये थे | और उन्होंने भारत में राज करने के लिए भारत का इतिहास यहाँ के सामाजिक इतिहास को बहुत को बहुत गलत और मनमाने ठंग से लोगो के सामने प्रस्तुत किया |

अंग्रेज के एक इतिहासकार मैक्स म्युलर ने 50 से भी अधिक ग्रंथो का अनुवाद कर उसकी पुनर्रचना की जिसमे ज्यदातर भारतीय ग्रन्थ थे | इस इस इतिहास में उन्होंने भारतीयों को पिछड़ा हुआ दिखाया | और और साथ ही यह भी दिखाया की भारतीय समाज में  casteism  , छुआछुत , जैसी घोर समस्या है | और देखा जाए तो आज यह चीज़े दिखयी भी देती है |

जिस चीज़ के लिए अंग्रेजो ने हम भारतीयों का मज़ाक उड़ाया | हमारे प्राचीन इतिहास को निम्न दिखाया और जिस बात को गलत शाबित करने के लिए हमारे जिन महान क्रांतिकारियों ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया आज हर को उस चीज़ को भूल गया है | और अंग्रेजो के लिए उस इतिहास को प्राचीन भारतीयों ने आधुनिक और इतिहास के साथ हम 21 वी सदी के लोगो ने बहुत ही मुर्खता पूर्वक अपनाया है |

जातिवाद , जातिवादी लोग
जातिवाद , जातिवादी लोग

आज देख ले की प्राचीन भारत में जाति व्यवस्था का असली मतलब क्या था

वास्तव में देखाया जाए तो प्राचीन भारत में वर्णव्यवस्था या कहा जाए तो जाति व्यवस्था वैदिक युग से दिखयी देती है | प्राचीन समय के लोगो ने वर्ण व्यवस्था लोगो द्वारा किये जाने वाले काम के आधार पर बनाया गया था | इसमें जो व्यक्ति जो का काम करता था वही उसकी जाति होती थी | जैसे अगर कोई व्यक्ति सोने का करता था तो वह सोनार होता था | लेकिन समय के साथ हम इंसानों ने इस व्यवस्था को समय के साथ हम इंसानों ने इस व्यवस्था को ने जन्म से जोड़ दिया |

वास्तव में लोगो के काम के आधार पर वास्तव में लोगो के काम के आधार पर हिन्दू धर्म में चार वर्ण थे ब्राम्हण , छुद्र , वैश्य , क्षत्रिय | प्राचीन समय में हर किसी का अलग अलग का होता था और इस तरह का भेदभाव नही था | लेकिन जैसे जैसे समय बितता गया समाज के कुछ मुर्ख ठेकेदारों ने इसे धार्मिकता से होड़ दिया और वे उन्हें प्राप्त इस वर्ण को छोड़ना न पड़े इसके लिए उन्होंने इसे जन्मजात प्राप्ति का ढोंग बना दिया |

इन सामज के ठेकेदारों के यहाँ पर भी के यहाँ पर भी अलग अलग काम को करने वाले सदस्य रहते थे और उन्हें अलग अलग वर्ण प्राप्त हो जाते थे और इसी के चलते उन्होंने अपने वर्ण को न बदलने के लिए इस तरह की  casteism  को जन्म दे दिया | जो भारत में शिक्षा के विस्तार के साथ ख़त्म होना चाहिए था वह और अधिक बढ़ गया |

और इस कुप्रथा को आज भी निभाते आ रहे है | पढ़े लिखे लोग भी इस चीज़ को बहुत अधिक मानतें है | हमारी टीम की ओर से सभी से आग्रह है की इस तरह की बुराइयों को ख़त्म कर समाज , देश को विकास की ओर ले जाए | धर्म , जातिवाद इन सब को भूलकर मनखे मनखे एक समान की विचारधारा को अपनाये | क्युकी हर किसी के शरीर के खून का रंग लाल ही है , हर किसी का शरीर हाड और मांस से ही बना है | समझे , जाने और सोचे और हर किसी को एक जैसा समझे |

इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकरियो के लिए हमारे इस वेबसाईट को अवश्य फोलो करें – sujhaw24.com

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