Bihar VS Election Commission controversy : बिहार में विपक्ष के लोगो के बिच भारी विरोध प्रदर्शन , क्या बिहार में वोटर घटेंगे , क्या है चुनाव आयोग का नया नियम
बिहार (Bihar Protest News ) में बुधवार को बिहार बंद (Bihar Band 2025 ) देखा गया | बिहार बंद (Bihar VS Election Commission controversy ) का कारण वहां के वोटरों की संख्या में कमी की सम्भावना की वजह से विपक्ष के नेताओ द्वारा बंद का एलान किया गया | इसी के चलते बिहार ( Bihar News ) में भारी विओर्ध प्रदर्शन देखने को मिला जिसमे बहुत से लोग सड़को पर उतर गए और विरोध करने लगे |
Bihar VS Election Commission controversy : बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने है | इसी चुनाव के चलते चुनाव आयोग ने इस बार कुछ नए नियम निकाले है | चुनाव आयोग विशेष संसोधन प्रक्रिया के तहत वोटरों का वेरिफिकेशन करना चाहती है | लेकिन इसी को लेकर बिहार के राजनितिक दल कड़ा विरोध कर रहे है और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी | विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस, RJD, और वाम दलों जैसे अन्य दल भी इस नियम को पक्षपाती बता रहे है |

Bihar Election Commission controversy : दूसरी ओर चुनाव आयोग का कहना है कि वेरिफिकेशन (सत्यापन) का काम ऑर्टिकल-326 और लोक प्रतिनिधित्व कानून के दायरे में ही किया जायेगा । इससे किसी वैलिड (वैध) वोटर का नाम नहीं कटेगा, बल्कि विदेशी घुसपैठियों सहित वोटर लिस्ट में गलत तरीके से नाम जुड़वाने वाले बाहर होंगे इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और भारत की जनता ही इसमें अपना सही से योगदान दे पायेगी |
विशेष संशोधन प्रक्रिया
वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया को विशेष संशोधन प्रक्रिया कहा जाता है। यह कभी संक्षिप्त तो कभी विस्तृत रूप से कराया जाता है। बिहार में आखिरी बार 2003 में यह सब हुआ था और अब यह विस्तृत रूप में 2025 में कराय जा रहा है | चुनाव आयोग का कहना है की जिनका भी वोटर लिस्ट में नाम 2003 के तहत है उनका वेरिफिकेशन नहीं होगा उसके बाद वालो का होगा | जिससे बहरी घुसपैठियें इसका हिस्सा न हो |
चुनाव आयोग का निर्देश
24 जून को चुनाव आयोग ने निर्देश जारी कर कहा था की ‘हर वोटर को व्यक्तिगत गणना फॉर्म जमा करना जरूरी है। 1987 के बाद जन्मे और 1 जनवरी 2003 के बाद वोटर लिस्ट में जुड़े लोगों को बर्थ सर्टिफिकेट, पासपोर्ट या किसी एजुकेशनल सर्टिफिकेट के जरिए अपनी नागरिकता का प्रमाण देना पड़ेगा | चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करने के लिए जन्म तिथि और जन्म स्थान का प्रमाण देने के लिए जुलाई 1987 की कट ऑफ डेट भी तय की है।
आयोग का कहना है की ‘राज्य से बाहर रहनेवाले मतदाताओं को भी गणना प्रपत्र भरना अनिवार्य होगा। फॉर्म ECI की वेबसाइट से डाउनलोड करके 26 जुलाई तक भर सकते है | आवेदन को भरने और साइन करने के बाद डॉक्यूमेंट अपलोड करना पड़ेगा । इसके बाद मतदाता सूची में नाम बना रहेगा। और आवेदन नहीं जमा करने पर मतदाता सूची से नाम हट जायेगा |
विपक्ष विरोध क्यों कर रहा
Bihar News : विपक्ष के नेताओं का कहना है की और उन्होंने आपत्ति जताई कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के लिए जाति प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता की जानकारी मांगी जा रही है, जो गरीब और ग्रामीण लोगों के पास अक्सर नहीं होती। कांग्रेस ने इसे मतदान अधिकारों की डकैती और एक गैर-सरकारी NRC कहा | इससे बहुत से मतदाता अपने मतदान से वंचित हो सकते है |

विपक्ष के सवाल : Bihar VS Election Commission controversy News
1.विपक्ष का कहना है की 2003 से आज तक लगभग 22 साल में बिहार में कम से कम 5 चुनाव हो चुके हैं, तो क्या वे सारे चुनाव गलत तरीके से हुए थे?
2.अगर चुनाव आयोग को SIR करना था तो इसकी घोषणा जून के अंत में ही क्यों की गई? इसका निर्णय कैसे और क्यों लिया गया? अगर SIR की जरूरत है तो इसे बिहार चुनाव के बाद आराम से बाद में किया जा सकता था। जब 2003 में यह प्रक्रिया हुई थी, तो उसके एक साल बाद लोकसभा चुनाव था और दो साल बाद विधानसभा का चुनाव याने की बहुत समय मिला था जबकि इस बार केवल एक महीने का ही समय दिया गया है |
3.पिछले एक दशक से हर काम के लिए आधार कार्ड मांगा जाता है | अगर आपके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं होगा, तो आप बिहार के वोटर नहीं होंगे ऐसा कहा जा रहा है |बिहार प्रदेश में लाखों-करोड़ गरीब लोग हैं, जिन्हें दस्तावेज एकत्र के लिए महीनों लग जायेंगे | ऐसे में कई लोगों का नाम ही लिस्ट में शामिल नहीं हो पायेगा | जो साफ तौर पर लेवल प्लेइंग फील्ड का हनन है। और यह चुनाव का आधार है और चुनाव गणतंत्र का आधार है |
4.चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया से कम से कम 2 करोड़ मतदाता इस लिस्ट से बाहर हो सकते हैं। इसमें दलित, आदिवासी, प्रवासी मजदूर और गरीब तबके के लोग भी अधिक शामिल हैं। यदि किसी का नाम हटाया गया तो चुनाव घोषित होने के बाद उसे अदालत में चुनौती देना भी संभव भी नहीं होगा, क्योंकि उस दौरान कोर्ट चुनाव संबंधी मामलों की सुनवाई करने से बचती है | आदि |
Bihar Controversy News : इसी को लेकर बिहार में विपक्षी नेता और लोगो द्वारा वहां विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है | और चुनाव योग के प्रति नाराजगी व्यक्त किया जा रहा है | एक अनुसार से देखे तो यह अभी जल्दबाजी में करना गलत भी है क्योंकि मजदुर, गरीब, किसान सिर्फ 1 माह में ही ऐसे दस्तावेज कहाँ से जुटा पाएंगे | और दूर इलाके के लोग, पहाड़ी, दुर्गम क्षेत्र के लोग कैसे इतनी जल्दी में ये सब ला सकेंगे | इसलिए इसमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए |
दूसरी ओर यह सही भी है क्योंकि इससे जो अतिरिक्त घुसपैठियें वोटर होंगे वे इसके चलते बाहर होंगे | इससे बिहार चुनाव में वहां के लोगो की सहभागिता में पारदर्शिता आयेगी | इससे बिहार के लोगो द्वारा चुनाव में भागीदारी बढ़ेगी और बहरी लोगो का हस्तक्षेप नहीं होगा | ऐसे ही और अधिक खबरों के लिए हमारे साथ जुड़े रहे |
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