about Keoladeo National Park | केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान
about Keoladeo National Park : केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भारत के महत्वपूर्ण राष्ट्रिय उद्यानों में से एक है | केवल देव राष्ट्रिय उद्यान भारत के राजस्थान राज्य के भरतपुर में स्थित एक पक्षी अभ्यारण्य है | यह राष्ट्रिय उद्यान भारत के महत्वपूर्ण पक्षी राष्ट्रिय उश्यानो में एक है | इसे पूरी दुनिया में विश्व धरोहर के रूप में के चिन्हांकित किया गया है | इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सूचि में शामिल किया गया है | यह एक अद्भुद पर्यटन स्थल है | यहाँ पर हर दिन सैकड़ो सैलानी घुमने के लिए आते है | इस राष्ट्रिय उद्यान में हजारो दुर्लभ और संकटापन्न पक्षियों की प्रजातियों को संरक्षण प्रदान किया गया है | केवलादेव में ठण्ड के मौसम में कई पक्षीविज्ञानी आते है |
इसकी स्थापना कब की गयी है ?
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भारत का एक प्रमुख पक्षी राष्ट्रिय उद्यान है | इसे भारत के पक्षी विहार के नाम से जाना जाता है | यह राष्ट्रिय उद्यान पुरे भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में भी जाना जाता है | इस राष्ट्रिय उद्यान को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में जाना जाता है | इस राष्ट्रिय उद्यान में ठण्ड के मौसम में देश के कई पक्षी विज्ञानी में यहाँ का सर्वेक्षण करने आते है |
इस राष्ट्रिय उद्यान में कई दुर्लभ और संकटोंपन्न पक्षियों को भी संरक्षण प्रदान किया गया है इस राष्ट्रिय उद्यान का निर्माण भारत के राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में स्थित है | इसे साल 1850 में कृत्रिम रूप से बनाया गया था | यह यहाँ के राजाओ का बतख – शिकार रिजर्व था |
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान का क्षेत्रफल कितना है ?
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भारत देश का एक प्रमुख पक्षी उद्यान है | इसे भारत के प्रमुख पक्षी विहारों में से एक कहा जाता है | इस उद्यान में हर दिन सैकड़ो सैलानी घुमने के लिए आते है | यहाँ पर कई पक्षी विज्ञानी भी यहाँ का सर्वेक्षण करने के लिए आते है | इस राष्ट्रिय उद्यान का निर्माण 10 मार्च सन 1982 में किया गया था | यह राष्ट्रिय उद्यान राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में स्थित है इस केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान का कुल क्षेत्रफल 28.73 वर्ग किलोमीटर है | इसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण पक्षी प्रजनन और भोजन के उद्यान के रूप में माना जाता है |
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान का इतिहास
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भारत का एक प्रमुख पक्षी प्रजनन स्थल है | यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है , इसे पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग भी कहा जा सकता है | इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की श्रेणी में भी शामिल किया गया है | केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान का नाम यहाँ पर स्थित केवलादेव मंदिर के नाम पर रखा गया है | इस राष्ट्रिय उद्यान का निर्माण आज से लगभग 250 साल पहले हुआ था | इस राष्ट्रिय उद्यान का की भागौलिक स्थित इस तरह है की इस राष्ट्रिय उद्यान में बाढ़ का खतरा बन रहता था | राजस्थान के भरतपुर के शासक सूरजमल जी ने इस उद्यान में साल 1736 से 1763 के बीच अजान बाँध का निर्माण करवाया था |
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भरतपुर के राजाओं का एक प्रमुख शिकारगाह हुआ करता था | इसे यहाँ के राजाओं का बतख – शिकार रिजर्व भी कहा जाता है | केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान 1850 से पहले तक यहाँ के वायसराय का सबसे पसंदीदा शिकारगाह हुआ करता था | इसके बाद यहाँ पर हर साल यहाँ के ब्रिटिश राजाओं के सम्मान में पक्षी शिकार का आयोजन किया जाता था |
साल 1938 में इस राष्ट्रिय उद्यान में भारत के गवर्नर जनरल लिनलिथगो के काल में इस राष्ट्रिय उद्यान में एक ही दिन में करीब 4 हजार 273 पक्षियों का शिकार कर दिया गया था जिसमे मेलोर्ड और टील जैसे पक्षियों की भारी मात्रा में हानि हुयी थी |
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान में कौन कौन से जानवर पाए जाते है ?
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान भारत का एक प्रमुख राष्ट्रिय उद्यान है | इसे पक्षी विहार के नाम से भी जाना जाता है | इस राष्ट्रिय उद्यान का एक और नाम घाना राष्ट्रिय उद्यान है | इस राष्ट्रिय उद्यान में पशु पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातिया पायी जाती है , यहाँ पर नील गाय , चीतल हिरन , साम्भर , कला हिरन , भारतीय हॉग हिरन जंगली सूअर , नेवला , शेर , लकडबग्घा , बंदर , सियार आदि जानवर पाए जाते है |
कौन कौन से पक्षी पाए जाते है ?
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान में करीब 350 तरह की पशु पक्षियों की प्रजातीय पायी जाती है | इस राष्ट्रिय इस राष्ट्रिय उद्यान में कई दुर्लभ और संकटोंपन्न पक्षियों की प्रजातीय पायी जाती है | यहाँ पर ठण्ड के मौसम में कई पक्षी विज्ञानी सर्वेक्षण करने के लिए आते है | यहाँ पर पायी जाने वाली पक्षियों में साइबेरियन क्रेन , एग्रेट्स , बगुले , बतख , गीज , चील , बाज , उल्लू , गिद्ध , जलकाग , मोर , डार्टर आदि प्रमुख पक्षीय पायी जाती है |
प्रमुख बिंदु
केवलादेव राष्ट्रिय उद्यान राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले में स्थित है | यह पहले यहाँ के राजाओ के लिए पसंदीदा शिकारगाह हुआ करता था | इस राष्ट्रिय उद्यान को साल 1850 में कित्रिम रूप से निर्मित किया गया था | यह एक अनुरक्षित राष्ट्रिय आद्रभूमि स्थल है |13 मार्च 1956 को इसे पक्षी अभ्यारण्य घोषित किया गया था | साल 1981 में इसे रामसर कन्वेन्सन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आद्रभूमि घोषित किया गया |10 मार्च 1982 को इसे राष्ट्रिय उद्यान घोषित किया गया |
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